अगर ख़ुशी मिलती है तुम्हे हम से जुदा होकर तोह दुआ है खुदा से की तुम्हे कभी हम न मिले,,,,,
माना कि तुझसे दूरियां कुछ ज्यादा ही बढ़ गई हैं पर तेरे हिस्से का वक़्त आज भी तन्हा गुजरता है,,,,,
जब दिल गैरो मैं लग जाए तब अपनों मैं खामिया नजर आने लगती है,,,,,
काश तू लौट आये और कहे बस बहुत हो गया अब नहीं रहा जाता तेरे बिना,,,,,
सफर में कही तो दगा खा गए हम जहाँ से चले थे वही आ गए हम,,,,,
कुछ लोगो को कितना भी अपने बनाने की कोशिश कर लो वो साबित कर देते है कि वो गैर ही है,,,,,
वक़्त बहुत कुछ छीन लेता है खैर मेरी तो सिर्फ मुस्कुराहट थी,,,,,
मुझे "परखने " में पूरी ज़िन्दगी लगा दी उसने काश कुछ वक़्त "समझने" में लगाया होता,,,,,
कभी मिले फुर्सत तो इतना जरुर बताना वो कौनसी मोहब्बत थी जो हम तुम्हे ना दे सके,,,,,
यूँ ही भटकते रहते हैं अरमान तुझसे मिलने के, न ये दिल ठहरता है न तेरा इंतज़ार रुकता है,,,,,
आदत बदल सी गई है वक़्त काटने की , हिम्मत ही नहीं होती अपना दर्द बांटने की,,,,,
ये जो ज़िन्दगी है ना . तेरे बिन अधूरी है,,,,,
जितना मुश्किल किसी को पाना होता है.... उससे ज़्यादा मुश्किल उसे भुलाना होता है,,,,,
कभी कभी मेरा दिल करता है कि बैठकर इतना रोऊ कि रोते रोते ही मर जाऊ,,,,,
ज़िंदगी में प्यार क्या होता है ये उस शक्स से पूछो जिसने दिल टूटने के बाद भी इंतज़ार किया हो,,,,,
सफर में कही तो दगा खा गए हम जहाँ से चले थे वही आ गए हम,,,,,
सफर में कही तो दगा खा गए हम जहाँ से चले थे वही आ गए हम,,,,,
उस हंसती हुई तस्वीर को क्या मालूम की कोई उसे देख कितने रोता है,,,,,
मैं क्यों पुकारू उसे कि लोट आओ उसे खबर नहीं कि कुछ नहीं मेरे पास उसके सिवाए.,,,,,
मुझे छोड़ने की वजह तो बता देते मुझसे नाराज़ थे या मुझ जैसे हज़ार थे,,,,,
सब कुछ ठीक ही चल रहा है ना जाने क्यों उदास हु मैं,,,,,
बेशक मोहब्बत ना कर पर बात तो कर तेरा यु खामोश रहना बड़ी तकलीफ देता है,,,,,
काश तू सिर्फ मेरे होता या फिर मिला ही ना होता,,,,,
तुम पर सिर्फ मेरा हक़ है ऐसा कहने वाला ही अब साथ छोड़ गया,,,,,
एक घुटन सी होती है जीने में जब कोई दिल में तो रहता है पर साथ नहीं,,,,,
एक घुटन सी होती है जीने में जब कोई दिल में तो रहता है पर साथ नहीं,,,,,
कमाल करता है ऐ दिल तू भी उसे फुर्सत नहीं और तुझे चैन नहीं,,,,,
चले जाने दो उस बेवफ़ा को किसी और की बाहों में जो इतनी चाहत के बाद मेरा ना हुआ वो किसी और का क्या होगा,,,,,
मुझ से पहले भी उसका कोई था मेरे बाद भी उसका कोई है,,,,,
मैं मर भी जाऊँ तोह उसे खबर न देना कही वक़्त न बर्बाद हो जाये उसका,,,,,
एक ख़्वाब था की वह भी मुझे चाहे मेरी तरह पर ख़्वाब ही रह गया,,,,,
तुम भुला दो मुझे ये तुम्हारी अपनी हिम्मत है मगर मुझसे ये उम्मीद ज़िंदगी भर मत रखना,,,,,
जिनको जाना होता है वो चले ही जाते है किसी के रोने से उनको कोई फर्क नहीं पड़ता,,,,,
क्यूँ नहीं महसूस होती उसे मेरी तकलीफ़ जो कहते थे बहुत अच्छे से जानते है तुझे,,,,,
प्यार करना हर किसी के बस की बात नहीं जिगर चाहिए अपनी ही खुशियां बर्बाद करने के लिए,,,,,
मुझे भी सिखा दो भूल जाने का हुनर मैं थक गया हूँ हर लम्हा हर सांस तुम्हे याद करते करते,,,,,
कितने शौक से छोड़ दिया तुमने बात करना जैसे सदियों से तेरे ऊपर कोई बोझ थे हम,,,,,
मुझे किसी के बदल जाने का कोई गम नही बस कोई था जिससे ये उम्मीद नही थी,,,,,
वक़्त पर ना जा वक़्त तो हर ज़ख्म की दावा है, आज तुमने हमे भुला दिया कल तुम्हे भी कोई भुला देगा,,,,,
सुना था हमने दर्द अक्सर बेदर्द लोग देते हैं मगर हमारी दुनिया उजाड़ी है एक मासूम चेहरे ने,,,,,
कोई तो कर रहा है मेरी कमी पूरी तभी मेरी याद उसे अब नहीं आती,,,,,
तुम हो तोह कुछ कमी नहीं .... तुम नहीं तोह कुछ नहीं .,,,,,
तेरे बिना जीना बोहोत मुश्किल है ... और तुझे ये बताना और भी मुश्किल ,,,,,
कभी ये मत सोचना की याद नहीं करते , हम रात की आखिरी और सुबह की पहली सोच हो तुम,,,,,
थोड़ी जगह दे दे मुझे तेरे पास कहीं रह जाऊं मैं खामोशियाँ तेरी सुनु ओर दूर कहीं ना जाऊं मैं,,,,,
नींद आएगी तोह इस तरह सोयेंगे मुझे जगाने के लिया लोग रोयेंगे,,,,,
अकेले रहने का भी एक अलग सुकून हे | ना किसी के वापस आने की उम्मीद, ना किसी के छोड़ जाने का डर.,,,,,
मेरी मोहब्बत की कातिल मेरी ग़रीबी ठहरी उसे ले गए ऊँचे मकाँ वाले..,,,,,
छोड़ दिया अब हमनें उस बेवफा का इंतजार करना दोस्तों जब रात गुजर सकती है तो ज़िंदगी भी गुजर जाएगी,,,,,
कल तक थी जो जान, आज बन गयी अनजान.,,,,,
नसीब का सब खेल है वरना मोहब्बत तो हम भी दीवाने की तरह किये थे.,,,,,
शाम नहीं पर बात वही. तू नहीं तो तेरी याद सही.,,,,,
बस तेरी कामि है ए मौत, दिल वो ले गयी जान तू ले जा..,,,,,
तेरी जगह आज भी कोई नहीं ले सकता , पता नहीं तेरी खूबी है या तेरी कमी,,,,,
मरता था जिनके लिए वो अब मर गए है मेरे लिए.,,,,,
तुम चाहते तो निभा भी सकते थे, मगर तुमने ऐसा कभी चाहा ही नहीं.,,,,,
कितनी जल्दी फैसला कर लिया जाने का, एक मौका भी नहीं दिया मनाने का,,,,,
वो मन बना चुके थे दूर जाने का, हमे लगा हमे मनाना नहीं आता,,,,,
बेशक मोहब्बत ना कर पर बात तो कर, तेरा यु खामोश रहना बड़ी तकलीफ देता है..,,,,,
ऐ दिल तू क्यों रोता है , ये दुनिया है यहाँ ऐसा ही होता है.,,,,,
दिल धोखे में है और धोखेबाज़ दिल में,,,,,
बहुत कुछ पाने वाले बहुत कुछ खोया करते हैं , इस दुनिया में हस्सने वाले सबसे ज़्यादा रोया करते हैं,,,,,
खुश तो वो रहते हैं जो जिस्मो से खेलते हैं , रूह से मोहब्बत करने वालो को अक्सर तड़पते देखा है,,,,,
किसी रोज़ मिलने से प्यार हो या न हो लेकिन किसी रोज़ बात करने से उसकी आदत जरूर हो जाती है,,,,,
दोबारा इश्क़ हुआ तो तुझसे हे होगा खफा हूँ मैं बेवफा नहीं,,,,,
रोज़ नहीं पर कभी कभी तो वो शख्स मुझे जरूर सोचता होगा,,,,,
शिकायत तो खुद से है तुम से तो आज भी इश्क़ है,,,,,
जाने कैसे हो जाते हैं लोग कभी इसके कभी उसके और फिर किसी और के,,,,,
वो शख्स एक छोटी सी बात पे यूँ चल दिया , जैसे उसे सदियों से किसी बहाने की तलाश थी ,,,,,
हम तो खुशियाँ उधार देने का कारोबार करते हैं साहब, कोई वक़्त पर लौटता नहीं हैं इसलिए घाटे मे है .,,,,,
उसको मालूम तो हैं मेरे हालातो के बारे मे, फिर खैरियत पूछकर मेरी मुश्किलें क्यों बढ़ाते हैं,,,,,
मोहब्बत नहीं है उसे मुझसे ये जानता हूँ मैं फिर भी ये बात कहाँ मानता हूँ मैं,,,,,
हादसे कुछ दिल पे ऐसे हो गए , हम समुन्दर से भी गहरे हो गए,,,,,
कमाल करता है तू भी ए दिल उसे फुर्सत नहीं है और तुझे चैन नहीं,,,,,
लाख तेरे चाहने वाले होंगे मगर तुझे महसूस सिर्फ मैंने किया है,,,,,
मत पूछ कैसे गुजर रही है जिंदगी , उस दौर से गुजर रहा हूँ जो गुजरता ही नहीं है,,,,,
बस इतना सा असर होगा हमारी यादों का, कि कभी-कभी तुम बिना बात के मुस्कुराओगे.,,,,,
जिसकी सजा तुम हो, मुझे ऐसा कोई गुनाह करना है.,,,,,
क्या कहें कुछ नहीं है कहने को, हाय क्या गम मिला है सहने को.,,,,,
खामोशियां बेवजह नहीं होती, कुछ दर्द आवाज छीन लिया करते हैं.,,,,,
जिन्हें नींद नहीं आती उन्हीं को मालूम है सुबह आने में कितने जमाने लगते हैं,,,,,
काम तो कुछ करती नहीं थक जाती हूँ बस तुम्हेे सोचते सोचते.,,,,,
किस_किस बात का गिला करें इस बेवफा जमाने मे, किसी ने दोस्ती छोडी , किसी ने दिल तोड़ा , किसी ने वादे तोड़े और , किसी ने तनहा छोड़ा,,,,,
उसका वादा भी अजीब था कि जिन्दगी भर साथ निभायेंगे मैंने भी ये नहीं पुछा की मोहब्बत के साथ या यादों के साथ,,,,,
जिसके हो नहीं सकते उसी के हो रहे हैं हम.,,,,,
किसी को क्या बताएं कितने मजबूर हैं हम , चाहा है एक तुम्हें और तुम्ही से दूर है हम,,,,,
अच्छे इंसान मतलबी नहीं होते, बस दूर हो जाते हैं, उन लोगों से जिन्हें उनकी कद्र नहीं होती.,,,,,
मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी,,,,,
चलो बिखरने देते है जिंदगी को सँभालने की भी हद होती है,,,,,
यकीनन तुम्हें तलाशती हैं मेरी आंखें........ये बात अलग है हम ज़ाहिर नहीं होने देते,,,,,
आज सारा दिन उदास गुजर गया, अभी रात की सजा बाकि है,,,,,
बदल दिया है मुझे मेरे चाहने वालो ने ही… वरना मुझ जैसे शख्स में इतनी खामोशी कहाँ थी,,,,,
दिल पर लग जाती है उन्हें अक्सर हमारी बातें , जो कहते थे तुम कुछ भी बोलो बुरा नहीं लगता.,,,,,
यूँ ही भटकते रहते हैं अरमान तुझसे मिलने के, न ये दिल ठहरता है न तेरा इंतज़ार रुकता है,,,,,
आँखों में देखी जाती हैं.. प्यार की गहराईयाँ...शब्दों में तो छुप जाती हैं.. बहुत सी तन्हाईयाँ.,,,,,
डाल कर...आदत बेपनाह मोहब्बत की...अब वो कहते है...कि...समझा करो वक़्त नही है,,,,,
क्या गिला करें उन बातों से क्या शिक़वा करें उन रातों से कहें भला किसकी खता इसे हम कोई खेल गया फिर से जज़बातों से,,,,,
अच्छी लगती है ये खामोशियाँ भी अब हर किसी को जवाब देने का सिलसिला ख़त्म हो गया,,,,,
चुप रहना मेरी ताक़त है कमज़ोरी नहीं, अकेले रहना मेरी चाहत है,मजबूरी नहीं,,,,,
कुछ रुकी रुकी सी है ज़िन्दगी,कुछ चलते फिरते से है हम,,,,,
तजुर्बे ने एक ही बात सिखाई है,नया दर्द ही पुराने दर्द की दवाई है,,,,,
क्यों लगता है वो आसपास है जिसका दूर तक कोई सुराग नहीं,,,,,
सिर्फ़ उम्र ही नहीं कुछ हादसे भी तजुर्बे बेहिसाब दे जाते है,,,,,
बहुत कुछ लिखना है पर लफ्ज़ खामोश है,,,,,
तेरे दिल के बाजार में मै रोज़ बिकती हुं , कुछ लफ्ज़ तेरी यादों के हर रोज़ लिखती हुं,,,,,
जो होकर भी ना हो.. उसका होना कैसा... नाम के रिश्तों से शिकवा कैसा..रोना कैसा,,,,,
बड़ी कश्मोकश है इन दिनो ज़िन्दगी में...किसी को ढूंढते फिर रहे हैं हर किसी में.,,,,,
एक ख्याल ही तो हूँ मैं ..याद रह जाऊँ .. तो याद रखना ..वरना...सौ बहाने मिलेंगे ...भूल जाना मुझे,,,,,
जो ज़ख़्म लगे हुए हैं दिल पर उनका मर्ज़ क्या होता है महफ़िल वालों तुम क्या जानो तन्हाई का दर्द क्या होता है,,,,,
ठोकर खाया हुआ दिल है...भीड से ज्यादा तन्हाई अच्छी लगती है,,,,,
सब ख़फ़ा है मेरे लहजे से...पर मेरे हाल से कोई रूबरू तक न हुआ,,,,,
निभा दिया उसने भी दस्तूर दुनिया का तो गिला कैसा पहचानता कौन है यहां मतलब निकल जाने के बाद,,,,,
रिश्ते और पतंग जितनी उँचाई पर होते हैं काटने वालो की संख्या उतनी अधिक होती हैं,,,,,
लफ्ज ढाई अक्षर ही थे.....कभी प्यार बन गए तो कभी जख्म.,,,,,
तेरी मुस्कान, तेरा लहज़ा, और तेरे मासूम से अल्फाज़..और क्या कहूँ... बस बहुत याद आते हो तुम,,,,,
कितने अनमोल होते हैं ये अपनों के रिश्ते कोई याद न करे तो भी इंतज़ार रहता है,,,,,
जिस्म तो फिर भी थक हार के सो जाता है....काश दिल का भी कोई बिस्तर होता.,,,,,
कुछ बुरी आदतें ता उम्र साथ नहीं छोड़ती....बस उन्हीं आदतों मे से एक है वो.,,,,,
रोज रोते रोज़ ये कहती है जिंदगी मुझसे, सिर्फ एक शख्स की खातिर यूँ मुझे बर्बाद ना कर,,,,,
मेरे ज़ज्बात की कदर ही कहाँ, सिर्फ इलज़ाम लगाना ही उनकी फितरत है,,,,,
उसका मिलना ही मुकद्दर में नहीं था वरना क्या क्या नहीं खोया उसे पाने के लिये,,,,,
दास्तां सुनाऊं और मज़ाक़ बन जाऊँ बेहतर है मुस्कुराऊं और ख़ामोश रह जाऊँ,,,,,
यकीनन मुझे तलाशती हैं तेरी आँखें....ये बात अलग है,, तुम ज़ाहिर नही होने देते...,,,,,
नुक्स निकालते है वो इस कदर हम मे , जैसे उन्हे खुदा चाहिए था और हम इंसान निकले ,,,,,
जिसे दिल मे जगह दी थी वो ही सब बर्बाद कर गया.,,,,,
लोग कहते है हम मुस्कराते बहुत है…और हम थक गए दर्द छुपाते छुपाते,,,,,
यक़ीं न आए तो इक बार पूछ कर देखो जो हँस रहा है वो ज़ख़्मों से चूर निकलेगा,,,,,
हम उनसे तो लड़ लेंगे जो खुले आम दुश्मनी करते हैं... लेकिन उनका क्या करे जो लोग मुस्कुरा के दर्द देते हैं,,,,,
दर्द सिर का हो या दिल का..दोनों बहुत बुरे होते है,,,,,
मुझे इसलिए भी लोग कमज़ोर समझते है , मेरे पास ताक़त नहीं किसी का दिल तोड़ने की..,,,,,
"बात इतनी है के तुम बहुत दुर होते जा रहे हो... और हद ये है कि तुम ये मानते भी नही,,,,,
हर रोज़, हर वक़्त तुम्हारा ही ख्याल ना जाने किस कर्ज़ की किश्त हो तुम,,,,,
वो हाल भी ना पूछ सके...हमे..बे-हाल देख कर......हम हाल भी...ना बता सके... उसे खुश-हाल देख कर.,,,,,
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किसी से कभी कोई उम्मीद मत रखो क्योंकि उम्मीद हमेशा दर्द देती है,,,,,
कुछ इस तरह खूबसूरत रिश्ते टूट जाया करते हैं जब दिल भर जाता है तो लोग अक्सर रूठ जाया करते हैं ,,,,,
आसमान बरसे तो छाता ले सकते हैं.. आंख बरसे तो क्या किया जाए,,,,,
यकीनन हो रही होंगी बैचेनियां तुम्हें भी , ये और बात है कि तुम नजरअंदाज कर रहे हो,,,,,
तेरे इश्क ने सरकारी दफ्तर बना दिया दिल को, ना कोई काम करता है,ना कोई बात सुनता है,,,,,
ज़िन्दगी से भला क्या शिकायत करें बस जिसे चाहा उसने समझा ही नही,,,,,
साजिशों का पहरा होता है हर वक़्त रिश्ते भी बेचारे क्या करें, टूट जाते हैं बिखर कर,,,,,
कुछ कह गए, कुछ सह गए, कुछ कहते कहते रह गए.. मै सही तुम गलत के खेल में, न जाने कितने रिश्ते ढह गए,,,,,
मुस्कुराने की अब वजह याद नहीं रहती, पाला है बड़े नाज़ से मेरे गमों ने मुझे,,,,,
अब तो खुद को भी निखारा नहीं जाता मुझसे _वे भी क्या दिन थे कि तुमको भी संवारा हमने ,,,,,
एक सफर जहां फिरसे सब 'शून्य' से शुरू करना होगा,,,,,
रिश्तों को वक़्त और हालात बदल देते हैं...अब तेरा ज़िक्र होने पर हम बात बदल देते हैं,,,,,
इस छोटी सी उम्र में कितना कुछ लिख दिया मैंने, उम्रें लग जायेंगी, तुम्हे मुझे पूरा पढ़ने में,,,,,
कभी सोचा न था की वो भी मुझे तनहा कर जायेगा!जो अक्सर परेशान देखकर कहता था.... मैं हूँ न,,,,,
जब रिश्ते ही दम तोड़ चुके हों.... तो फिर प्यार, इजहार,गलती का अहसास ,सही गलत कुछ भी मैटर नहीं करता,,,,,
कभी कभी नाराज़गी दूसरों से ज्यादा खुद से होती है ,,,,,
उस दिन चैन तो तुम्हारा भी उड़ेगा जिस दिन हम तुम्हे लिखना छोड़ देंगे ,,,,,
चाह कर भी पूछ नहीं सकते हाल उनका, डर है कहीं कह ना दे के ये हक तुम्हे किसने दिया,,,,,
मेरे दिल का दर्द किसने देखा है, मुझे बस खुदा ने तड़पते देखा है ,हम तन्हाई में बैठे रोते है,लोगो ने हमे महफ़िल में हस्ते देखा है,,,,,
मेरे दिल का दर्द किसने देखा है, मुझे बस खुदा ने तड़पते देखा है ,हम तन्हाई में बैठे रोते है,लोगो ने हमे महफ़िल में हस्ते देखा है,,,,,
आज परछाई से पूछ ही लिया , क्यों चलते हो.. मेरे साथ..उसने भी हंसके कहा ,और कौन है...तेरे साथ,,,,,
उनका बादा भी अजीब था - बोले जिन्दगी भर साथ निभाएंगे ,पर पागल हम थे - ये पूछना भूल ही गए के मोहबत के साथ या यादो के साथ ,,,,,
भूल सा गया हैं बो मुझे , समज नहीं आ रहा की हम आम हो गए उनके लिए या कोई खास बन गया है,,,,,
जो फ़ुरसत मिली तो मुड़कर देख लेता मुझे एक दफा तेरे प्यार में पागल होने की चाहत मुझे आज भी हे,,,,,
उसकी मोहबत पे मेरा हक़ तो नहीं लेकिन ,दिल करता है के उम्र भर उसका इंतज़ार करू ,,,,,