कैसे कह दूं कि मुलाक़ात नहीं होती है, रोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती है ,,,,,
वाकिफ थे बाकायदा उन गलियों से हम फिर भी ना जाने कैसे ठोकर लग ही गयी ,,,,,
खुशियाँ दिखावे की हो सकती हैं, जनाब ग़म तो छुपाने से भी नहीं छुपता है ,,,,,
सोचा ही नहीं था..जिन्दगी में ऐसे भी फ़साने होगें, रोना भी जरूरी होगा..और आँसू भी छुपाने होगें. ,,,,,
मसला पाने का होता तो ख़ुदा से छीन लेता ख़्वाहिश तुझे चाहने की है, उम्र भर चलेगी ,,,,,
वो लोग क्यों मिलते ही दिल में उतर जाते है, जिन लोगो से किस्मत के सितारे नहीं मिलते ,,,,,
टूटी चीज़े हमेशा परेशान करती है, जैसे दिल, नींद, भरोसा और सबसे ज्यादा किसी से उम्मीद ,,,,,
जो मैंने तेरा दिल चुराया, इसमें मेरी कोई खता न थी अपने ग़मों को मैं कहां छुपाता, मेरे दिल में कोई जगह न थी ,,,,,
तेरी एक कॉल की उम्मीद पे, मैने अभी तक अपना फोन नंबर नही ,,,,,
नब्ज तो चल रही है आज भी मेरी पर, वो हकीम कहता है, मैं मर चुका हूं मोहब्बत में ,,,,,
बहुत अंदर तक तोड़ डालता है, वह अश्क जो आंखों से बह नहीं पाता ,,,,,
मैं मर जाऊँ तो मेरी कब्र पे लिख देना मौत बेहतर हैं दिल लगाने से.. ,,,,,
अब इतने भी भोले नहीं कि तुम वक़्त गुज़ारो और हम उसे प्यार समझे ,,,,,
"तुम" याद आओगे यकीन था मुझे, इतना आओगे अंदाजा नहीं था. ,,,,,
उनके प्यारे से चेहरे पर रंग लगा देते! वो पास होते तो हम भी होली मना लेते ,,,,,
रेल की खिड़कीयां तो खोल दी थी हमने मगर रात थी जब तुम्हारा शहर आया था. ,,,,,
मिले तो हजारो लोग थे जिंदगी में, मगर वो सबसे अलग था जो किस्मत में नही था ,,,,,
मत चाहो किसी को इतना की बाद में रोना पडे, क्यूंकि ये दुनियां दिल से नहीं ज़रूरत से प्यार करती हैं ,,,,,
जो चीज़ वक़्त पर ना मिले, वह बाद में मीले या ना मिले, कोई फर्क नहीं पड़ता ,,,,,
जनाब तुम महोबत की बात करतें हो हमनें तो दोस्ती मैं भी धोखे खाये हैं ,,,,,
गलतफ़मियों मेहीखोगये वो रिश्ते, वरना कुछ वादे अगले जन्म के भी थे! ,,,,,
मोहब्बत तो सिर्फ मुझे हुई थी, उसे तो तरस आया था मुझ पर ,,,,,
शुक्र है message का ज़माना है, वरना तुम तो मेरे भेजे गए कबूतर मार देती. ,,,,,
हमने तो मोहब्बत कीयी थी वो भी कर लेती तो शायद इश्क कहलाता ,,,,,
हम तो हँसते हैं दूसरों को हँसाने के लिए वरना ज़ख्म तो इतने हैं कि ठीक से रोया भी नहीं जाता ,,,,,
साथ तो जिंदगी भी छोड़ देती है, शिकायत लोगों से क्या करना. ,,,,,
काश कुबूल होती वो माँगी हुई दुआ तो त कभी न होती यू हमसे जुदा ,,,,,
क्यों उसको याद करके तू आज भी रोता है, ये मतलबी दुनिया है मेरे दोस्त यहां कोई किसी का नहीं होता है ,,,,,
दिल परेशान रहता है उनके लिए, हम कुछ भी नही है जिनके लिए ,,,,,
आज फिर मैं तडपा हूँ, लगता है वो आज फिर किसी और की बाहों में होगी ,,,,,
यूँ पल-पल न मरते, न रातों में रोते, काश हम मोहब्बत से अनजान होते ,,,,,
हमने तो अल्फ़ाजों में अपना दर्द सुनाया था उन्हें, मगर वो शायरी समझ कर, मुस्कुरा कर चले गए ,,,,,
अगर आप ख़ुश हो तो ये दुनियाँ रंगीन लगती है...वर्ना नम आँखों से तो आईना भी धुंधला नजर आता है ,,,,,
उसकी जीत के लिए उससे हार जाना , कमाल है ये एक तरफ़ा इश्क़ निभाना ,,,,,
ज़िंदगी ने रुलाया भी उनको ... जो हँसते हुए बहुत अच्छे लगते है ,,,,,
उसे भुला दूंगा और चैन से सोऊंगा .. ये सोचते सोचते पूरी रात निकल जाती है ,,,,,
ज़िन्दगी में जो लोग सबसे खास होते हैं, वह कुछ पल के लिए ही पास होते हैं,,,,,
घुटन सी होने लगी थी, इश्क जताते जताते, हम खुद से रूठ गए थे, किसी को मनाते मनाते,,,,,
मत हो उदास किसी के लिए ए दिल, जान भी दे देंगे तो लोग कहेंगे की इसकी उम्र ही इतनी थी ,,,,,
टूटे हुए सपनो और छुटे हुए अपनों ने मार दिया, वरना ख़ुशी खुद हमसे मुस्कुराना सिखने आया करती थी,,,,,
अपने ही हमें खुश नहीं देखना चाहते, तो गैरों से क्या शिकायत ,,,,,
सीख जाओ वक्त पर किसी की चाहत की कदर करना, कहीं कोई थक ना जाये तुम्हें एहसास दिलाते दिलाते,,,,,
मैंने पूछा उनसे, भुला दिया मुझको कैसे? चुटकियाँ बजा के वो बोले… ऐसे, ऐसे, ऐसे,,,,,
तुम दोस्ती को मोहब्बत में बदलना चाहते थे, देखा इस मोहब्बत ने हमें दूर कर दिया,,,,,
दुश्मनों की अब किसे जरूरत है, अपने ही काफी है, दर्द देने के लिए,,,,,
खफा रहने का शौक भी पूरा कर लो तुम, लगता है तुम्हे हम ज़िंदा अच्छे नहीं लगते,,,,,
नींद भी नीलाम हो जाती है, बाज़ार-ए-इश्क में, किसी को भूल कर सो जाना, आसान नहीं होता,,,,,
लिखना तो ये था कि खुश हूँ तेरे बगैर भी. पर कलम से पहले आँसू कागज़ पर गिर गया.,,,,,
कितना अजीब है लोगों का अंदाज़-ए-मोहब्बत, रोज़ एक नया ज़ख्म देकर कहते हैं, अपना ख्याल रखना..,,,,,
कुछ हार गई तकदीर कुछ टूट गये सपने, कुछ गैरों ने किया बरबाद कुछ भूल गये अपने.,,,,,
इश्क का धंधा ही बंद कर दिया साहेब, मुनाफे में जेब जले, और घाटे में दिल.,,,,,
सोचता रहा ये रातभर करवट बदल बदल कर, जानें वो क्यों बदल गया, मुझको इतना बदल कर.,,,,,
ना जाने किस बात पे वो नाराज हैं हमसे, ख्वाबों मे भी मिलता हूँ तो बात नही करती,,,,,
अजीब सा दर्द है इन दिनों यारों, न बताऊं तो ‘कायर’, बताऊँ तो ‘शायर’,,,,,
एक तरफा रहीं हमेशा मोहब्बत मेरी..किसी से खयालात न मिले, किसी से हालात न मिले,,,,,
सोचा था कि बताएंगे सब दर्द तुमको, पर तुमने तो इतना भी न पूछा कि ख़ामोश क्यों हो,,,,,
दूरियां तो पहले ही आ चुकी थीं, इस ज़माने में, एक बीमारी ने आकर इल्ज़ाम अपने सर ले लिया ,,,,,,
उस किताब सा हूं मैं, जिसे तुमने कई बार पढ़ा लेकिन कभी समझा नहीं,,,,,
मेरी चाहत का इस तरह मजाक मत बनाओ, कि तुम्हारी आंखें ही तरस जाए, मुझे दोबारा देखने के लिए ,,,,,
तुझे हक है अपनी दुनिया में खुश रहने का, मेरा क्या है? मेरी तो दुनिया ही अधूरी है ,,,,,,
पूछा ऊपर वाले से मैंने कि मेरी मोहब्बत अधूरी क्यूँ लिखी,, वो भी कहकर रो पड़ा मुझे भी राधा कहाँ मिली ,,,,,,,
सच कहते हैं लोग मोहब्बत को पाने में मुश्किल नहीं, मुश्किल तो उसे भुलाने में होती है ,,,,,
कभी वक़्त मिले तो सोचना जरुर, वक़्त और प्यार के अलावा तुमसे माँगा ही क्या था ,,,,,,,
एक ख़्याल ही तो हूं, याद रहे तो रख लेना, वरना सौ बहाने मिलेंगे मुझे भुल जाने के ,,,,,,,
उम्मीद तो उसी दिन छोड़ दी, जब तुम्हें उस अजनबी के करीब देखा था ,,,,,,,,
आज भी यकीन नहीं होता मुझे, क्या इतना आसान था, इस इश्क़ से निकल जाना ,,,,,,,,
तूने कैसे थामा होगा हाथ उसका, तेरी हथेली को भी आदत मेरी थी ,,,,,,,
उसने इश्क की अर्थी सज़ा दी, जो कभी इश्क़ का गुलाम था ,,,,,,
रंग तो मौसम और बादल भी बदलते है, पर तुम जैसा कोई नही ,,,,,,
आज फिर मेरे शहर में बारिश हो रही है, फिर किसी आशिक़ का दिल टूटा है ,,,,,
मिली है किसी को बिन मांगे वो, हमें तो इबादत के बाद भी इंतजार ही मिला है. ,,,,,
अब तो इज़ाज़त लेनी होगी तुम्हे याद करने से पहले, मालिक जो बदल लिए है तुमने ,,,,,
दिल ए नादान तू भी अजीब पागल है, तुझे सिर्फ वो चाहिए, जो तेरा हो नही सकता. ,,,,,
कैसे करूँ मैं साबित..कि तुम याद बहुत आते हो, एहसास तुम समझते नही और अदाएं हमे आती नहीं. ,,,,,
रोये बगैर तो प्याज भी नही कटता, यह तो जिंदगी है जनाब, ऐसे-कैसे कट जाएगी.. ,,,,,
क्या खाक तरक्की की आज की दुनिया ने, मरीज ऐ इश्क़ तो आज भी लाइलाज बैठे है. ,,,,,
माना कि तुझसे दूरियां कुछ ज्यादा ही बढ़ गई हैं, पर तेरे हिस्से का वक़्त आज भी तन्हा गुजरता है ,,,,,
बहुत अंदर तक जला देती है, वो शिकायतें जो बयाँ नही होती. ,,,,,
मालूम है की ख़्वाब झूठे हैं और ख़्वाहिशें अधूरी हैं, पर ज़िंदा रहने के लिए कुछ गलतफहमियाँ भी ज़रूरी हैं ,,,,,
नफ़रत करना तो हमने कभी सीखा ही नहीं, मैंने तो दर्द को भी चाहा है, अपना समझ कर ,,,,,
आज परछाई से पूछ ही लिया, क्यों चलती हो मेरे साथ, उसने भी हंसके कहा, और है कौन तेरे साथ ,,,,,
जिंदगी कैसी अजीब हो गई है खुश दिखना खुश होने से ज्यादा जरूरी हो गया है ,,,,,
पता नही होश में हूं या बेहोश हूं में... पर बहुत सोच समझ कर खामोश हूं मैं ,,,,,
गुरुर” किस बात का करू मरने के बाद मेरे "अपने" ही, मुझे छूने के बाद हाथ" धोएंगे. ,,,,,
सुना था मोहब्बत मिलती है, मोहब्बत के बदले || हमारी बारी आई तो, रिवाज ही बदल गया ,,,,,
धोखा देने के लिए शुक्रिया तेरा ! तुम न मिलती तो दुनिया की समझ न आती ,,,,,
कौन कहता है कि वक्त बहुत तेज़ है, कभी किसी का इंतज़ार तो करके देखो.. ,,,,,
जुदा होने का शौक भी पूरा कर लेना जनाब, लगता है तुझे हम ज़िंदा अच्छे नहीं लगते! ,,,,,
हमारी हसी पे मत जाना, फूल तो कब्र पर भी होते है ,,,,,
सुना है दर्द अक्सर बेवफा लोग देते हैं, लेकिन हमारी दुनिया उजाड़ी है एक मासूम चेहरे ने ,,,,,
कहने वाले का क्या जाता है, कमाल तो सहने वाला करता है. ,,,,,
रोज़ तोह वोह मरते है जोह, खुद से जयादा किसी और की फ़िक्र करते है ,,,,,
वो मेरा नहीं फिर भी मेरा है, ये कैसी उम्मीद ने मुझे घेरा है ,,,,,
मन था : भर गया इंसान था : बदल गया ,,,,,
दर्द मुझको ढूंढ लेता है रोज़ नये बहाने से... वो हो गया है वाकिफ़ मेरे हर ठिकाने से. ,,,,,
मुफ्त में नही सीखा उदासी में मुस्कुराने का हुनर, बदले में ज़िन्दगी की हर खुशी तबाह की है हमने.. ,,,,,
तरस गए हैं तेरे मुँह से कुछ सुनने को हम, प्यार की बात न सही कोई शिकायत ही कर दे. ,,,,,
लाश पता नहीं किस बदकिस्मत की थी, मगर क़ातिल के पैरो के निशान बड़े हसीन थे ,,,,,
बताओ तो कैसे निकलता है जनाज़ा उनका, वो लोग जो अन्दर से मर जाते है ,,,,,
कौन पूछता है पिंजरे में बंद परिंदों को, साहब याद वही आते है जो उड़ जाते है ,,,,,
सिर्फ़ मोहब्बत की होती तो भुला देते उन्हें, ये पागल दिल तो इबादत कर बैठा ,,,,,
क्या करोगे अब पास आकर, खो दिया तुमने बार-बार आजमा कर ,,,,,
इन बादलों के बीच कहीं खो गया है, सुना है मेरा चांद किसी और का हो गया है ,,,,,
एक वक़्त था जब मोहब्बत की मिशाल देते थे लोग, अब जी भर जाये तो दिल से भी निकाल देते हैं लोग ,,,,,
खुदगर्ज़ है लोग यहाँ, मतलबी है ज़माना, बात अगर मेरी झूठी लगे तो, कभी अपनों को भी आज़माना ,,,,,
कभी कभी इतनी सिद्दत से तुम्हारी याद आती है, मैं पलकें झुका देती हूँ और ऑंखें भीग जाती है ,,,,,
चले जाएंगे तुझे तेरे हाल पर छोड़कर, कदर क्या होती है ये तुझे वक्त सिखा देगा ,,,,,
सजा तो मुझे मिलनी ही थी मोहब्बत में, मैंने भी तो कई दिल तोड़े थे तुझे पाने के लिए. ,,,,,
उसे बोल दो कि मेरे ख्वाबों में ना आया करे, रोज आँख खुलती है और दिल टुट जाता है.. ,,,,,
तेरी मुहब्बत भी किराये के घर की तरह थी, कितना भी सजाया पर मेरी नहीं हुई. ,,,,,
छोड़ कर जाने वाले क्या जाने, यादों का बोझ कितना भारी होता है ,,,,,
काफी मिलती जुलती थी हमारी आदते ,न उसने पुकारा न मेने पलट के देखा ,,,,,
हमने इज़हार किया काफ़ी इंतजार के बाद, हमें इंतजार ही मिला, इज़हार के बाद ,,,,,
उनका दिल कैसे जीत लेते जो किसी और को अपना दिल हार गया हो ,,,,,
निगाहों से भी चोट लगती है, जनाब जब कोई देखकर भी अनदेखा कर देता हैं ,,,,,
साथ मेरे बैठा था, पर किसी और के करीब था , वो मेरा अपना सा लगने वाला किसी और का नसीब था ,,,,,
माना मौसम भी बदलते हैं मगर धीरे धीरे..*तेरे बदलने की रफ़्तार से तो हवाएं भी हैरान हैं. ,,,,,
जिनकी हँसी खूबसूरत होती है, उनके जख्म काफी गहरे होते हैं. ,,,,,
मैंने परखा है अपनी बदकिस्मती को, जिसके अपना कहूं वो अपना नही रहता.. ,,,,,
घुटन सी होने लगी थी, इश्क़ जताते जताते हम खुद से रूठ गए थे किसी को मनाते मनाते ,,,,,
मोहब्बत के मारे लोग फिर कहा मिलते है, ये मुरझाए हुए गुलाब है, जो सिर्फ़ किताबों में मिलते है ,,,,,
तेरी यादो को पसन्द आ गई है मेरी आँखों की नमी हँसना भी चाहूँ तो रूला देती है तेरी कमी ,,,,,
तकलीफ ये नही की किस्मत ने मुझे धोखा दिया अफसोस तो ये हे की मेरा यकीन तुम पर था किस्मत पर नही ,,,,,
खफा रहने का शौक भी पूरा कर लो तुम, लगता है तुम्हे हम ज़िंदा अच्छे नहीं लगते ,,,,,
यें वो जमाना है जिसकी जितनी परवाह करोगे, वो उतना ही बेपरवाह होकर मिलेगा ,,,,,
कितना भी खुश रहने की कोशिश कर लो, जब कोई याद आता है तो बहुत रुलाता है ,,,,,
एक सवेरा था जब हंसकर उठते थे हम और आज कई बार, बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती है ,,,,,
तुमने समझा ही नहीं और ना समझना चाहा, हम चाहते ही क्या थे तुमसे “तुम्हारे सिवा ,,,,,
जिंदगी में कुछ जख्म ऐसे होते हैं जो कभी नहीं भरते.. बस इंसान उन्हें छिपाने का हुनर सीख जाता है. ,,,,,
किसीने क्या खूब कहाँ हैं, मोहब्बत नहीं यादें रुलाती हैं. ,,,,,
अक़्सर उन लोगों के दिल टूटते हैं, जो सबका दिल रखने की कोशिश करते हैं ,,,,,
बहुत नाराज़ थे तो रो पड़े, अपनों से क्या ही शिकायत करते ,,,,,
बहुत उदास है कोई तेरे चुप हो जाने से, हो सके तो बात कर किसी बहाने से ,,,,,
वक़्त मिले तो बात कर लिया करो, मौत का सीजन चल रहा है, पता नहीं कल क्या होगा। ,,,,,
छीन लेता है हर चीज मुझसे ऐ खुदा.. क्या तू भी इतना गरीब है. ,,,,,
बेहद हँसने वाले हम लोग, अक्सर अपने लिये दुआओं में मौत माँगते हैं ,,,,,
छोड़ दिया हमने अब उन गलियों से गुजरना, जहाँ हमें देखने के लिए कभी वो इंतज़ार किया करती थी ,,,,,
जो पूरा न हो सका.. वो किस्सा हूँ मै, छूटा हुआ ही सही.. तेरा हिस्सा हूँ मै ,,,,,
इतनी बुरी भी ना थी जिन्दगी जनाब, बस कुछ दिमाग वाले लोगो को दिल मे जगह दे दी. ,,,,,
नहीं तुम से कोई शिकायत बस इतनी सी इल्तिज़ा है, जो हाल कर गए हो कभी देखने मत आना ,,,,,
कभी मौका मिला तो हम किस्मत से जरूर शिकायत करेंगे क्यो छोड़ जाते है, वो लोग जिन्हें हम टूट कर चाहते है ,,,,,
अपनी तन्हाई में तन्हा ही अच्छा हूँ, मुझे जरूरत नहीं दो पल के सहारो की ,,,,,
शिकायतें नहीं करनी बस इतना सुन लो,,! मैं खामोश हूँ और वजह तुम हो, ,,,,,
तकलीफ तो जिंदगी देती हैं, मौत को तो लोग युही बदनाम करते हैं ,,,,,
वो न ही मिलती तो अच्छा था, बेकार में मोहब्बत से नफरत हो गई. ,,,,,
तूने तो कहा था हर शाम गुजरेगी तेरे साथ ! तू बदल गया या तेरे शहर में शाम नहीं होती ,,,,,
ज़रा सा भी नहीं पिघलता दिल तुम्हारा, इतना कीमती पत्थर कहा से ख़रीदा ,,,,,
रोज़ रोते हुए कहती है ज़िन्दगी, एक बेवफ़ा के लिए मुझे बर्बाद मत कर ,,,,,
वक्त और हालात रिश्तों को बदल देते है; अब तेरा जिक्र होने पर हम बात बदल देते है ,,,,,
"दिल में आने का रास्ता तो होता है, लेकिन जाने का नहीं, इसलिए जो भी जाता है दिल तोड़कर जाता है ,,,,,
"बनना है तो किसी के दर्द की दवा बनो, जख्म तो हर इंसान देता है ,,,,,
मुस्कुराने के बहाने जल्दी खोजो वरना जिन्दगी रुलाने के मौके तलाश लेगी ,,,,,
कमाल करता है, तू भी ऐ दिल. उसे फुर्सत नहीं और तुझे चैन नहीं. ,,,,,
जिनकी हँसी खुबसूरत होती है, उनके 'ज़ख्म' काफी गहरे होते है ,,,,,
हंसता तो रोज हूं, पर खुश हुए जमाना हो गया ,,,,,
आज अचानक कोई मुझसे लिपट कर बहुत रोया, कुछ देर बाद एहसास हुआ ये तो मेरा ही साया है ,,,,,
बहुत कुछ कहा था तुझसे, लेकिन जब तुम हाल ना समझ सके तो बातें कहाँ से समझोगे ,,,,,
सिनेमा नहीं हकीकत है जिंदगी, जाने बाले पलटकर नहीं देखा करते ,,,,,
एक तेरी ख़ामोशी जला देती है इस पागल दिल को, बाकी तो सब बातें अच्छी हैं तेरी तस्वीर में ,,,,,
अक्सर खूबसूरत चेहरे,...दगा बड़े सलीके से देते है ,,,,,