“अगर प्यार है तो शक़ कैसा …अगर नहीं है तो हक़ कैसा,,,,,,
फिर ग़लतफैमियो में डाल दिया.. जाते हुए मुस्कुराना ज़रूरी था,,,,,,
कहेते है इश्क ऐक गुनाह है जिसकी शरुआत दो बेगुनाहो से होती है.,,,,,,
आँसू आ जाते हैं आँखों में पर लबों पर हंसी लानी पड़ती है ये मोहब्बत भी क्या चीज़ है यारो जिस से करते हैं उसी से छुपानी पड़ती है,,,,,,
ऐ ईश्क सुना था के… तु अंन्धा है फिर मेरे धर का राश्ता तुजे कीसने बताया,,,,,,
मुलाकात जरुरी हैं, अगर रिश्ते निभाने हो, वरना लगा कर भूल जाने से पौधे भी सुख जाते हैं,,,,,,
क्या खबर थी की मुहब्बत हो जायेगी। हमें तो सिर्फ उनका मुस्कुराना अच्छा लगा था,,,,,,
बस जाते हैं दिल में इजाज़त लिए बगैर, वो जिन्हें हम ज़िन्दगी भर पा नहीं सकते,,,,,,
हजारो बार ली हैं तलाशियाँ तुमने मेरे दिल की, बताओ कभी कुछ मिला है तुम्हारे सिवा ,,,,,
मोहब्बत ज़िंदगी बदल देती है , मिल जाए तो भी ना मिले तो भी,,,,,,
सच्चा प्यार ईश्वर कि तरह होता है, जिसके बारे में बातें तो सभी करते हैं लेकिन महसूस कुछ ही लोगों ने किया होता है,,,,,,
मेरा दिल सिर्फ तुम्हारे लिए धड़कता है,,,,,,
कभी फुर्सत मिले तो सोचना जरूर, एक लापरवाह लड़का क्यों तेरी परवाह करता था ,,,,,,
कुछ इस तरह से….नाराज हैं वो हमसे, जैसे उन्हें, किसी और ने…मना लिया हो.,,,,,,
काश ये दिल बेजान होता ,ना किसी के आने से धडकता ना किसी के जाने पर तडपता,,,,,,
वो ना ही मिलते तो अच्छा था… बेकार में मोहब्बत से नफ़रत हो गई,,,,,,
तुम ही वजह मेरे खालीपन की.. और.. तुम्ही गूंजते हो मुझमें हरदम,,,,,,
कोई भी दीवारें मुझे तुमसे मिलने से ना रोक पाती,अगर तू मेरे साथ होती तो,,,,,,
दिल मेरा कूछ टूटा हुआ सा है,उससे कूछ रुठा हुआ सा है,,,,,,
मेरे दिल से उसकी हर गलती माफ़ हो जाती है,जब वो मुस्कुरा के पूछती है, नाराज हो क्या,,,,,,
खोने की दहशत और पाने की चाहत न होती, तो ना ख़ुदा होता कोई और न इबादत होती,,,,,,
यूँ तो शिकायते तुझ से सैंकड़ों हैं मगर,तेरी एक मुस्कान ही काफी है सुलह के लिये.,,,,,,
सुनो… तुम ही रख लो अपना बना कर..औरों ने तो छोड़ दिया तुम्हारा समझकर,,,,,,
खुद ही दे जाओगे तो बेहतर है..!वरना हम दिल चुरा भी लेते हैं.,,,,,,
मोहब्बत का कोई रंग नही फिर भी वो रंगीन है,प्यार का कोई चेहरा नही फिर भी वो हसीन हैं,,,,,,
धड़कनों को भी रास्ता दे दीजिये हुजूर,आप तो पूरे दिल पर कब्जा किये बैठे है.,,,,,,
तुम जिन्दगी में आ तो गये हो मगर ख्याल रखना,हम ‘जान’ दे देते हैं मगर ‘जाने’ नहीं देते,,,,,,
मोहब्बत है मेरी इसीलिए दूर है मुझसे,अगर जिद होती तो शाम तक बाहों में होती,,,,,,
अगर हम सुधर गए तो उनका क्या होगा जिनको हमारे पागलपन से प्यार है,,,,,,
गर्मी तो बोहत पढ़ रही है। फिर भी उनका दिल पिघलने का नाम ही नहीं ले रहा ,,,,,,
सुना है तुम ज़िद्दी बहुत हो,मुझे भी अपनी जिद्द बना लो ,,,,,,
मुहब्बत में झुकना कोई अजीब बात नहीं; चमकता सूरज भी तो ढल जाता है चाँद के लिए,,,,,,
हो जा मेरी कि इतनी मोहब्बत दूँगा तुझे,लोग हसरत करेंगे तेरे जैसा नसीब पाने के लिए.,,,,,,
मेरे इस दिल को तुम ही रख लो,बड़ी फ़िक्र रहती है इसे तुम्हारी,,,,,,
यूँ तो आदत नहीं मुझे मुड़ के देखने की..तुम्हें देखा तो लगा..एक बार और देख लूँ,,,,,,
कहतें हैं कि मोहबत एक बार होती है..पर मैं जब जब उसे देखता हूँ..मुझे हर बार होती है,,,,,,
प्यार अगर सच्चा हो तो कभी नहीं बदलता न वक़्त के साथ न हलात के साथ,,,,,,
क्या ऐसा नहीं हो सकता हम प्यार मांगे… और तुम गले लगा के कहो, “और कुछ,,,,,,,
तुम हर तरह से मेरे लिए ख़ास हो, शुक्रिया वो बनने के लिए जो तुम हो,,,,,,
बुजदिल हें वो लोग जो मोहब्बत नहीं करते, बहुत हौसला चाहिए बर्बाद होने के लिए,,,,,,
जब भी मैं तुमसे दूर होता हूँ, मुस्कुराते हुए तुम्हारे पुराने मेसेज और चिट्ठियां दोबारा दोबारा पढता हूँ ! हाँ ! तुमसे इतना प्यार करता हूँ मैं,,,,,,
प्यार का रिश्ता भी कितना अजीब होता है। मिल जाये तो बातें लंबी और बिछड़ जायें तो यादें लंबी,,,,,,
दुनिया में रहने की सबसे अच्छी दो जगह ‘किसी के दिल में’ या ‘किसी की दुआओं में’,,,,,,
जरुरी नहीं कि इंसान प्यार की मूरत हो, सुंदर और बेहद खूबसूरत हो, अच्छा तो वही इंसान होता है, जो तब आपके साथ हो, जब आपको उसकी जरुरत हो,,,,,,
सच्चे प्यार के लिए दूरियां मायने नहीं रखतीं,,,,,,
प्यार की गहरायी की सीमा तब पता चलती है, जब बिछुड़ने का समय होता है,,,,,,
एक दिन तुम्हे एहसास होगा कि क्या था मैं तुम्हारे लिए ! पर तब तक मैं तुम्हारी ज़िन्दगी से बहुत दूर जा चुका हूँगा,,,,,,
ऐ मोहब्बत तुझे पाने की कोई राह नहीं, शायद तू सिर्फ उसे ही मिलती है जिसे तेरी परवाह नही,,,,,,
जैसे प्यार से सभी चीज़ें आसान लगती हैं, उसी तरह उम्मीद से सब कुछ संभव लगने लगता है,,,,,,
कोई केह दे उन्हें , अपनी ख़ास हिफाजत किया करे ,, बेशक साँसे उनकी हे , पर जान तो मेरी हे,,,,,,
वो नकाब लगा कर खुद को इश्क से महफूज समझते रहे ; नादां इतना भी नहीं समझते कि इश्क चेहरे से नहीं आँखों से शुरू होता है,,,,,,
उसके सिवा किसी और को चाहना मेरे बस में नहीं हे , ये दिल उसका हे , अपना होता तो बात और होती,,,,,,
लिख दू तो लफ्ज़ तुम हो, सोच लू तो ख्याल तुम हो, मांग लू तो मन्नत तुम हो, और चाह लू तो मोहोब्बत भी तुम ही हो,,,,,,
जाते वक्त बहोत गुरूर से कहा था उसने.... "तुम जैसे हजार मिलेंगे" मैंने मुस्कुरा कर कहा.... " मुझ जैसे की ही तलाश क्यों,,,,,,
मुस्कराहट का कोई मोल नहीं होता , कुछ रिश्तों का कोई तोल नहीं होता लोग तो मिल जाते है हर मोड़ पर लेकिन हर कोई आप सब की तरह अनमोल नहीं होता,,,,,,
तेरे मुस्कुराने का असर सेहत पे होता है लोग पूछ लेते है..दवा का नाम क्या है,,,,,,
बहुत गौर से देखने पर जिंदगी को जाना मैंने...दिल से बड़ा दुश्मन पूरे जमाने में नहीं है,,,,,,
नफ़रत सी हो गई हैँ इस दुनिया से, एक तुम से मोहब्बत करके,,,,,,
इश्क़ वो नहीं जो तुझे मेरा कर दे.... इश्क़ वो है जो तुझे किसी और का ना होने दे,,,,,,
तू इतना प्यार कर जितना तू सह सके, बिछड़ना भी पड़े तो ज़िंदा रह सके,,,,,,
ए खुदा..!! मुझे प्यार उसी से हो जो.... मुझे पाकर प्यार में पागल हो जाए,,,,,,
मुहब्बत नहीं है नाम सिर्फ पा लेने का.... बिछड़ के भी अक्सर दिल धड़कते हैं साथ-साथ,,,,,,
उसकी मुहब्बत का सिलसिला भी क्या अजीब है, अपना भी नहीं बनाती और किसी का होने भी नहीं देती,,,,,,
कुछ इस तरह वो मेरी बातों का ज़िक्र किया करती है.... सुना है वो आज भी मेरी फिक्र किया करती है,,,,,,
मेरी बात सुन पगली अकेले हम ही शामिल नही है इस जुर्म में.... जब नजरे मिली थी तो मुस्कराई तू भी थी,,,,,,
आपको ज़ीद हे अगर हमे भूलने की तो, हमे भी ज़ीद हे आपको अपनी याद दिलाने की,,,,,,
सच्चे इश्क में अल्फाज़ से ज्यादा एहसास की एहमियत होती है,,,,,,
कितने कम लफ्जों मे जिंदगी को बयान करूँ, लो तुम्हारा नाम लेकर किस्सा तमाम करूँ,,,,,,
हज़ारो मैं मुझे सिर्फ़ एक वो शख्स चाहिये ,, जो मेरी ग़ैर मौजूदगी मैं, मेरी बुराई ना सुन सके,,,,,,
बड़ी मुद्दत से चाहा है तुझे! बड़ी दुआओं से पाया है तुझे! तुझे भुलाने की सोचूं भी तो कैसे! किस्मत की लकीरों से चुराया है तुझे,,,,,,
हसरत है सिर्फ तुम्हें पाने की, और कोई ख्वाहिश नहीं इस दीवाने की, शिकवा मुझे तुमसे नहीं खुदा से है, क्या ज़रूरत थी, तुम्हें इतना खूबसूरत बनाने की,,,,,,
खुदा ने जब इश्क़ बनाया होगा,.,., तो खुद आज़माया होगा,.,., हमारी तो औकात ही क्या है,.,., इस इश्क़ ने खुदा को भी रुलाया होगा,,,,,,
तेरी मुहब्बत पर मेरा हक तो नही पर दिल चाहता है आखरी सास तक तेरा इंतजार करू,,,,,,
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